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Hindi motivational poem

Hindi motivational poem                  जगमगाती इस दुनिया में अंधेरों का भी पहरा है हर जीत का फैसला  तेरे चलते ही टेहरा है  हम वहीं है  जो  खुद को जिंदगी में निखारते है जहा बारी आई बढ़ने कि  वहा खुद को नकारते है। इन्वेंशन क्रिएशन इंसानों का ही खेल है खुली इस दुनिया में बहिष्कारो का ही रेल है आफत हम है, बर्बादी हम है जीत हम है , कामयाबी हम है हर लोगो के अंदर एक छुपी पैशन है जिसने पहचान लिया उसी का सासन है हम ने ही किया अपने सोच को खड़ा  जिसने माना है झूठी बातों का बड़ा  हम वहीं है जो कहते है  गुलाब में कांटे है या कांटो में भी गुलाब है।                  मुस्किलो से ना घबरा  वक़्त कभी ना टेहरा  आंधी या तूफान  अपनी जीत के दिए को तू जला चोट सबको आती है  सीखने का सिलसिला बतलाती है इरादे अगर होंगे नेक तो जीत सबकी आती हैं। खुद को माना है कमजोर  क्यों कि नहीं दिया अपने बातों पे जोर दूसरों को देख खुद को लालच दिया है अपने सपनों को बांध कर मुसीबतों को देखा है रोज                       अब तो बात मेरी मान उठा के सर दिख